डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद : भारत के पहले राष्ट्रपति, जिनकी आंसर शीट देखकर एग्जामिनर ने कही थी ये बात

Story Of Dr Rajendra Parsad : आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जो स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे और वह लगातार दो बार भारत के राष्ट्रपति बने रहे। जी हां दोस्तों हम बात करने जा रहे हैं राजेंद्र प्रसाद की जो की एक बेहद ही साधारण परिवार से आकर अपने बुद्धिमानी के दम पर हर जगह पर अपना नाम रोशन किया तथा देशभक्ति की भावना के कारण वह कई बार जेल भी गए परंतु जब देश आजाद हुआ तो उनकी योग्यता तथा देशभक्त के लिए उन्हें भारत का प्रथम राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त किया गया।

जब वह भारत के राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए तो उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया लेकिन उनके राष्ट्रपति पद पर होते हुए और विश्वसनीय कार्यों के लिए उन्हें 1962 में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया राजेंद्र प्रसाद एक ऐसे राष्ट्रपति थे जो सादा जीवन उच्च विचार वाले वाक्य को अपने जीवन का आदर्श बनाकर रहते थे उन्होंने वैश्विक स्तर पर शांति के लिए अच्छा कार्य किया तथा देश के विकास के लिए भी उन्होंने बहुत ही अच्छा कार्य किया तो चलिए दोस्तों हम आपको डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के बारे में कुछ बताते हैं।

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन

Story Of Dr Rajendra Parsad
Story Of Dr Rajendra Parsad

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी सेनानी थे। इनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई में हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा उनकी माता का नाम कमलेश्वरी देवी था इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फारसी भाषा में की इन्होंने सन 1902 में कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम स्थान हासिल किया।

जिसके लिए इन्हें प्रतिमा 30 रुपए की छात्रवृत्ति मिलती थी इन्होंने वकालत में शिक्षा हासिल की और उसमें भी सबसे ज्यादा नंबर लाकर स्वर्ण पदक हासिल किया एक बार जब इन्होंने अपने परीक्षा की आंसर शीट लिखी थी तो उनके एग्जामिनर ने कहा कि लिखने वाला ने जाचने वाले से बेहतर लिखा है।

यह भी पढ़े। – इंडिया की सबसे बेखौफ प्रधानमंत्री की जिसे हम आयरन लेडी के नाम से जानते है – इंदिरा गांधी की कहानी

राजेंद्र प्रसाद भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में भी सक्रिय रहे और कई बार उसके लिए वह जेल भी गए फिर जब भारत आजाद हुआ तो उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और फिर अगले कार्यकाल में भी उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया और जब अपना दूसरा कार्यकाल उन्होंने खत्म किया तो उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया तब उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

वह अपने जीवन के अंतिम समय में पटना में जाकर एक आश्रम में अपना जीवन व्यतीत करने लगे और वहीं पर उनकी मृत्यु एक बीमारी के कारण 28 फरवरी 1963 को 78 वर्ष की उम्र में हो गई।

निष्कर्ष:

Dr Rajendra Parsad – हम राजेंद्र प्रसाद के जीवन से यह सीख सकते हैं कि हम अपने जीवन में चाहे जितना भी बड़ा मुकाम हासिल कर ले हमें अपने हैसियत यानी कि अपने मुल्यता को नहीं भूलना चाहिए जैसे कि राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति पद पर होकर भी साला जीवन उच्च विचार वाले विचार को मानकर अपना जीवन बिल्कुल ही सादगी के साथ जीते थे।

Join Our Telegram channel –  Click here

अपने जीवन में दो बार भारत के राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह अपने जीवन के अंतिम समय एक आश्रम में व्यतीत किया। दोस्तों हम उनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं उनकी मृत्यु के समय भी वह अपने देश के बारे में ही सोच रहे थे। अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

Leave a Comment