कबीर दास का संक्षिप्त जीवन परिचय 2024-25: Kabir Das Biography In Hindi

Kabir Das का संक्षिप्त जीवन परिचय

दोस्तों Kabir Das जी इस साहित्य के एक महान कवि थे। कबीर हिंदी साहित्य के एक महान मंदिर व्यक्तित्व तो हैं ही उनके जन्म को लेकर भी बहुत सारे मत हैं कुछ लोगों का तो मत है कि उनका जन्म रामानंद सागर के आशीर्वाद से वाराणसी की एक विधवा की कोख से हुआ था। जिसको रामानंद जी ने भूल से पुत्रवती भव का आशीर्वाद दे दिया था इसके बाद उसे विधवा ने उन्हें एक तालाब जिसका नाम लहरतारा था वहीं पर फेंक चली आई।

लहरतारा तालाब के पास उस बच्चों को एक जुल्हई की पत्नी ने पाया और कबीर दास के लालन पोषण का कार्य इस जुल्हई के पति और पत्नी ने किया। उनका नाम नीरू तथा नीर था कबीर के भी खुद को एक जुल्हई के रूप में अपनी पत्तियां में प्रस्तुत किया है। यह तो हो गई एक मत और एक दूसरा मत है।

कि कबीर दास का जन्म लहरतारा तालाब में उगे हुए एक कमल के फूल से हुई है। ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर दास जन्म से एक मुसलमान थे और वह अपनी युवा अवस्था में गुरु रामानंद सागर से प्रभावित होकर हिंदू धर्म में बदल गए। एक बार गुरु रामानंद सागर वाराणसी में गंगा नदी में स्नान करने जा रहे थे और उनका पैर फिसल कर गिर गया तभी उनके मुंह से राम-राम शब्द का उच्चारण हुआ।

Kabir Das Biography In Hindi
Kabir Das Biography In Hindi

तभी से कबीर दास ने इस शब्द को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया। कबीर की बातों से हमें यह पता चलता है कि वह हिंदू ब्राह्मण तथा मुसलमान फकीरों दोनों के विचारों का मेल कराकर अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त किया जिससे कि वह हिंदू धर्म तथा मुस्लिम धर्म का बीच का भेड़ को मिटा सके।

कबीर दास जी ने अपने जीवन में हमेशा लोगों की भलाई की तथा लोगों के बीच से अंधविश्वास आदि मिटाने के लिए प्रयास करते रहे उन्होंने अपने रचनाओं के माध्यम से यह सब कार्य करने का प्रयास किया तो चलिए दोस्तों आज हम आपको उनके जीवन के बारे में कुछ बातें बताते हैं।

कबीर का जीवन

कबीर दास जी का जन्म 1398 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था उनके पिता का नाम नीरू तथा उनकी माता का नाम निरा था। उनके दो बच्चे थे जिसमें से एक बेटा तथा एक बेटी थी उनके बेटे का नाम कमल तथा उनकी बेटी का नाम कमली था उनकी रचनाओं की भाषा शब्द साधु कड़ी भोजपुरी थी।

Kabir Das Biography In Hindi
Kabir Das Biography In Hindi

उनकी मृत्यु 1518 में 120 वर्ष की अवस्था में मगर नामक स्थान पर हो गई उनकी रचनाएं हैं बीजक जिसके तीन भाग हैं सखी, शब्द, रमैनी। कबीर दास ने अपने दोहों के माध्यम से जीवन को परिवर्तित करने का प्रयास किया है लोगों के।

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निष्कर्ष:

दोस्तों हम कबीर दास के जीवन से यह सीख सकते हैं कि हमें अपने जीवन में कभी आत्मज्ञानी नहीं होना चाहिए क्योंकि उन्हें पता था कि वह किसके पुत्र हैं और उन्हें यह भी पता था कि वह जिसके पास रह रहे हैं वह भी उनके माता-पिता नहीं है क्योंकि वह बहुत ही ज्ञानी थे।

परंतु उन्होंने ईश्वर की धन्यवाद दिया कि उन्होंने उनको जीवित रखा और इतना सब कुछ दिया और वह सदा ईश्वर के भक्ति में लवली न रहे वह ईश्वर का हमेशा धन्यवाद करते हैं इसीलिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया।

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कबीर दास के दोहे :
1. “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं देता फल लागे अति दूर।।”

2. “करत करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान।
रसरी आवत जात ते शिल पे पड़त निशान।।”

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