महात्मा गांधी की प्रेरणादायक कहानी: उनकी बायोग्राफी से सीखे जीवन के महत्वपूर्ण सबक

परिचय

आप दुनियां में‌ जिस तरह का परिवर्तन चाहते हैं आपको अपने अंदर वैसे ही परिवर्तन लाना चाहिए यह विचार हैं महात्मा गांधी के हैं। दोस्तों महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया था।

जन्म और परिवार।

तो चलिए आज हम आपको महात्मा गांधी के बारे में कुछ बताते हैं महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जबकि प्यार से लोग इन्हें भाई कहते थे।

इनके पिता का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जो राजकोट शहर में दीवान थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था 1883 ई में 14 वर्ष की अवस्था में कस्तूरबा गांधी से इनका विवाह हो गया इनके चार पुत्र थे हरिलाल मणिलाल रामदास देवदास यमुनालाल बजाज को इनका पांचवा पुत्र कहा जाता है।

Biography of Mahatma Gandhi In Hindi
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शिक्षा

यह अपने उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए और वहां वकालत की पढ़ाई पूरी करके बैरिस्टर बने 1891 में यह भारत वापस आ गए एक गुजराती व्यापारी का केस लड़ने के लिए 1893 में वह दक्षिण अफ्रीका चले गए दक्षिण अफ्रीका में नेपाल क्षेत्र के समीप डरबन में पीटर मार्टिन वर्ग स्टेशन पर इन्हें ट्रेन से नीचे धकेल दिया गया क्योंकि प्रथम श्रेणी में भारतीय और कुत्तों का जाना माना था इस घटना के बाद ब्रिटिश सरकार को गांधी जी से माफी मांगनी पड़ी।

दक्षिण अफ्रीका में पहला सत्याग्रह

दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने भारतीयों के लिए अपना पहला सत्याग्रह किया। इन्होंने 1906 में दक्षिण अफ्रीका में फीनिक्स फार्म की स्थापना किया महात्मा गांधी ने इंडियन ओपिनियन नामक पत्रिका लिखी जो कई भाषाओं में प्रकाशित हुई किंतु इसका प्रकाशन उर्दू में नहीं हुआ। दक्षिण अफ्रीका में ही महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मान लिया।

महात्मा गांधी को आंदोलन की प्रेरणा रूस के विद्वान लो टोल ताई से मिली इन्हीं से महात्मा गांधी सर्वाधिक प्रभावित थे महात्मा गांधी को भूख हड़ताल की प्रेरणा जर्मन विद्वान रस्किन से मिली महादेव देसाई महात्मा गांधी के सलाहकार सचिव थे अमेरिकी पत्रकार मिलर महात्मा गांधी का सहयोगी था।

महात्मा गांधी की उपाधियाँ और सम्मान

Biography of Mahatma Gandhi In Hindi
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अंग्रेजों ने गांधी जी को सार्जेंट की उपाधि दी क्योंकि गांधी जी ने प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेवा में बहुत से भारतीयों को भर्ती करवाया अंग्रेजों का सहयोग करने के कारण महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार ने केसरी हिंद की उपाधि दी।

चंपारण सत्याग्रह की सफलता के बाद रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि दी जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें बापू की उपाधि दिया सुभाष चंद्र बोस ने इन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दिया वेस्टर्न चर्चिल जो कि इंग्लैंड का प्रधानमंत्री था उसने इन्हें अध्यरंगा फकीर कहा शेख मुजिबुल रहमान ने इन्हें जादूगर का उपाधि दिया। खुदाई खिदमतगार संस्था ने मंगल बाबा की उपाधि दिया।

आइंस्टीन ने कहा कि आने वाले 100 – 200 साल के बाद शायद ही कोई विश्वास करें कि ऐसे शरीर वाला व्यक्ति इस शरीर पर था जिसने इतना बड़ा आंदोलन कर दिया 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी को भारत लौट आए आज भी इस दिन को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

1916 में महात्मा गांधी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना किया इस आश्रम के लिए धन अंबालाल साराभाई ने दिया। इस आश्रम के अंदर महात्मा गांधी की कुटिया हृदय कुंज कहलाता था 1916 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया।

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इसकी अध्यक्षता अंबिका चंद्र मजबूतदार कर रहे थे। इसी अधिवेशन में राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को चंपारण के लिए जमीदारों के तीन कटिया पद्धति की जानकारी दी और उन्हें चंपारण आने का आग्रह किया 1917 में महात्मा गांधी राजेंद्र प्रसाद तथा अनुग्रह नारायण सिंह के साथ चंपारण पहुंचे और वहां सफल 17 सत्याग्रह किया।

अंग्रेजो ने तीन कठिया पद्धति समाप्त कर दिया भारत में महात्मा गांधी का पहला सफल आंदोलन था इसकी सफलता के बाद रविंद्र नाथ टैगोर ने ने महात्मा की उपाधि दिया 1918 में महात्मा गांधी ने खेड़ा सत्याग्रह किया और किसानों के बड़े हुए टैक्स को माफ कराया।

1918 में ही महात्मा गांधी ने अहमदाबाद मिल मजदूर सत्याग्रह किया इस सत्याग्रह में पहली बार महात्मा गांधी ने भूख हड़ताल का प्रयोग किया महात्मा गांधी के आंदोलन के चार चरण थे पहला सत्याग्रह दूसरा भूख हड़ताल तीसरा बहिष्कार और चौथा हड़ताल।

निष्कर्ष:

दोस्तों हम महात्मा गांधी के जीवन से यह सीख सकते हैं कि हमें अपने जीवन में चाहे तो कुछ भी कर सकते हैं जैसे आइंस्टीन ने भी कहा कि आने वाले समय में कोई भी व्यक्ति या भरोसा नहीं करेगा कि ऐसे शरीर वाला व्यक्ति भी इतना बड़ा आंदोलन कर सकता है।

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और उसके पीछे इतनी भारी जनसंख्या में लोग उसके पीछे उसका समर्थन के लिए खड़े हो सकते हैं महात्मा गांधी एक सामान्य व्यक्ति ही थे परंतु उन्होंने अपने डीढ निश्चय तथा संकल्प के बलबूते पर पूरे भारत से अंग्रेजों को के दिया तथा भारत को आजादी दिलाई।

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