दोस्तों महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवित्रियों में से एक होने के कारण इन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला नए-नए हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती भी कहा है इन्होंने स्वतंत्रता से पहले तथा स्वतंत्रता से बाद का भी भारत देखा है। अपनी रचनाओं को उसी के हिसाब से किया है तो चलिए दोस्तों इनके बारे में कुछ जानते हैं।
महादेवी वर्मा का जन्म प्रातः 8:00 बजे उनके परिवार में साथ पीडिया के बाद लगभग 200 सालों के बाद उनके वश में बेटी का जन्म हुआ इसलिए उनके पिता ने खुशी से झूमते हुए उन्हें घर की देवी का के महादेवी नाम रखा। उनका जन्म प्रातः 8:00 बजे 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद में हुआ था यह बचपन से ही बहुत ही लाड प्यार से पाली गई इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा था। तथा उनकी माता का नाम हेमरानी देवी था।
बचपन से ही एक प्रतिभाशाली लड़की थी और बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था यह अपने माता-पिता के बिल्कुल विपरीत स्वभाव की थी यह आज आप क्लास 7 में थी तभी से कविताएं लिखने लगे और उन्होंने कक्षा 7 में ही अपना प्रांत में टॉप किया था।
1925 में इन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की और उस समय तक वह एक प्रसिद्ध कवि बन गई थी वह जब अपने कॉलेज के दिनों में थी तब उनकी दोस्ती सुभद्रा कुमारी चौहान से हो गई और दोनों ही कविताएं लिखती थी सुभद्रा कुमारी चौहान उनसे बड़ी थी और उनसे अच्छी लेखिका भी थी इसलिए महादेवी वर्मा ने उनसे बहुत कुछ सीखा। सुभद्रा कुमारी चौहान अक्सर महादेवी वर्मा का मजाक उड़ाया करती थी। महादेवी वर्मा का पैसा उपन्यासकार लघु कथा लेखिका तथा कभी इत्रिका था।
उन्होंने अपने जीवनसाथी के रूप में डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से विवाह किया जो कि उनके पिता ने कराया । महादेवी वर्मा का विवाह एक बाल विवाह था परंतु वह हमेशा से बाल विवाह के खिलाफ थे। और उन्होंने आजीवन निर्वाह एक अविवाहित की तरह जीवन बिताया और अपने पति से दूर रहती थी।
फिर उनके पति की कम अवस्था में ही मृत्यु हो जाने के बाद वह प्रयागराज में ही स्थाई रूप से रहने लगे और उनकी मृत्यु भी वही प्रयागराज में 11 सितंबर 1987 को हो गई उनके हिंदी साहित्य में उच्च स्तरीय कार्य के लिए बहुत सारे पुरस्कार मिले उन्हें 1956 में पद्म भूषण 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार 1988 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया चलिए दोस्तों उनके बारे में आपको कुछ बताते हैं।
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महादेवी वर्मा के पिता का क्या नाम था?
महादेवी वर्मा के पिता का नाम गोविंद प्रसाद था।
महादेवी वर्मा की माता का क्या नाम था?
महादेवी वर्मा की माता का नाम हेमरानी देवी था।
महादेवी वर्मा के पति का क्या नाम था?
महादेवी वर्मा के पति का नाम स्वरूप नारायण वर्मा था।
महादेवी वर्मा को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
महादेवी वर्मा को 1956 में पद्म भूषण 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा 1988 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
महादेवी वर्मा का कविता संग्रह?
महादेवी वर्मा का कविता संग्रह में निहार, रश्मि, दीपशिखा, नीरजा, संध्या गीत ,दीपशिखा, सप्तपर्णा, प्रथम आयाम, अग्नि रेखा आदि है।
महादेवी वर्मा का काव्य संकलन?
महादेवी वर्मा का काव्य संकलन में आदमी का परिक्रमा, संधिनी, यामा, स्मारिका, दीपगीत, गीतपर्व, निलंबरा आदि।
महादेवी वर्मा का गद्य साहित्य?
गद्य साहित्य में अतीत के चलचित्र ,स्मृति और रेखाएं, पथ के साथी,मेरा परिवार,संस्मरण आदि हैं।
महादेवी वर्मा के निबंध?
विवेचनातमक गध, श्रृंखला की कड़ियां, संकल्पीता आदि।
महादेवी वर्मा की कहानी?
गिल्लू ,जो एक गिलहरी के साथ हुए घटना के बारे में है।
निष्कर्ष:
महादेवी वर्मा के जीवन से हम सीख सकते हैं कि यदि आप काम के प्रति लगन से है तो आप अपने कार्य में बहुत सफल होंगे और आपका नाम तो होगा ही महादेवी वर्मा का नाम हिंदी साहित्य में वैसे लिया जाता है जैसे आकाश में रात्रि के समय ध्रुव तारे महादेवी वर्मा ने अपने लेखिका से समाज से महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार के बारे में भी लोगों को जागरूक करना चाहा।
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महादेवी वर्मा एक बहुत ही अच्छी लेखिका थीं जिन्होंने अपने लेखिका जीवन के लिए अपने पति तक को भी त्याग दिया और बस अपना जीवन यापन अपने लेखन कार्य के लिए समर्पित कर दिया महादेवी वर्मा को उनके हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए हिंदी के लगभग सभी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।